The hymns that Pujya Guru Dev Sri Sri Ravishankar ji sings after the Long Kriya written by
Tulsi Das ji in Sri Ram charit Manas (Bal kand/first canto)
अमीय मुरीमय चूरन चारू, समन सकल भव रज परिवारू || १ ||
सुकृति शम्भुतन बिमल विभूति, मंजुल मंगल मोद प्रसुती
जनमन मंजू मुकुर मल हरनि, किये तिलक गुण गन बस करनी || २ ||
Bandeu Gurupad Param Paraga, Suruchi Suwas saras anuraga |
Ameeya murimaya churan charu, Saman Sakal bhav raj pariwaru || 1 ||
Sukruti Shambhutana vimal vibhuti, Manjul mangal mod prasuti |
Janamana manju mukur mal harni, kiye tilak gun gan bas karni || 2 ||
मैं गुरु महाराज जी की चरण कमलों की धुल का वंदन करता हूँ जोकि सुख, सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है | वह अमरु मूल (संजीवनी जड़ी) का सुन्दर चूर्ण है, जो संपूर्ण रोगों के परिवार को नाश करने वाला है | वह रज पुन्यवान पुरुष शिवजी के शरीर पर सुशोभित निर्मल विभूति है और सुन्दर कल्याण और आनंद की जननी है | भक्त के मनरूपी सुन्दर दर्पण के मेल को दूर करने वाली है और इसके तिकल करने से गुणों के समूह को वश में करने वाली है |
I prostrate to the dust of my Master's feet. That beautiful dust is filled with fragrance and juice of love. It is the life rejuvenating medicine which destroy the whole family of all the diseases. It is present as ornament of the body of shiva and it is mother of all joy and bliss. It clears the dirt from the mind of devotee which is like a mirror and if worne as tilak (on the forehead) one gains all the glorious virtues.
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